Friday, 8 January 2016

तू ज्ञान का सागर है तेरी इक बूँद के प्यासे हम...


तू ज्ञान का सागर है

तेरी इक बूँद के प्यासे हम

लौटा जो दिया तुमने
चले जायेंगे जहां से हम
तू ज्ञान का सागर...



घायल मन का पागल पंछी उड़ने को बेक़रार

पंख हैं कोमल, आँख है धुँधली, जाना है सागर पार
अब तू ही इसे समझा, राह भूले थे कहाँ से हम
तू ज्ञान का सागर...



इधर झूम के गाये ज़िंदगी, उधर है मौत खड़ी

कोई क्या जाने कहाँ है सीमा, उलझन आन पड़ी
कानों में ज़रा कह दे, कि आएँ कौन दिशा से हम
तू ज्ञान का सागर...

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